Maharishi Dayanand Vocational Training Institute India

Sunday, 31 May 2020

तंबाकू नहीं जहर कहिए

प्यारे युवा साथियों
             आज इस ब्लॉग के माध्यम से मै अपने हृदय की पीड़ा को लिख रहा हूं अगर आप मेरी बात से सहमत हो तो इस ब्लॉग को हर उस अपने साथी के साथ शेयर कीजिए जो आज नशे के कारण अपने साथ साथ पूरे परिवार को दुख की तपती भट्ठी मे झोकता ही चला जा रहा है।
आज मै बात करना चाहता हूं  तंबाकू की, उससे होने वाले नुकसान,परिणाम एवं छोड़ने के कुछ उपायों के बारे में।

बिहार में सर्वाधिक तम्बाकू का इस्तेमाल होता है। यहां के 53.5 प्रतिशत लोग तम्बाकू सेवन करते हैं जबकि राष्ट्रीय औसत 35 है।
एनएफएचएस -4 के सर्वे के अनुसार बिहार में दो तिहाई पुरुष तथा 8 प्रतिशत महिलाएं इसमें भी 5 प्रतिशत गर्भवती तथा 10.8 फीसद बच्चों को दूध पिलाने वालीं महिलाएं किसी न किसी रूप में तम्बाकू सेवन करती हैं। प्रदेश के हाईस्कूल में पढऩे वाले 61.4 प्रतिशत छात्र तथा 51.2 फीसद छात्राएं और 70 प्रतिशत से अधिक शिक्षक किसी न किसी रूप में तम्बाकू सेवन करते हैं।

आइए_जानते_है_इसके_नुकसान_के_बारे_में
पहली बार जब घोड़े के पेट में कीड़ों को मारने के लिए तम्बाकू का प्रयोग किया गया था तब किसी ने सोचा भी नहीं था एक दिन यह मनुष्यों की जान की सबसे बड़ी दुश्मन होगी।

आज देश के 27 करोड़ लोग घातक परिणामों को जानते हुए भी इसका सेवन कर रहे हैं। केवल तम्बाकूजनित बीमारियों से देश में हर वर्ष करीब 15 लाख लोगों की मौत होती है। सबसे खतरनाक पहलू यह कि छात्रों में इसके सेवन की ललक बढ़ रही है। प्रदेश के आंकड़े तो और भी चौंकाने वाले हैं।
यहां हर वर्ष 80 हजार लोग और प्रतिदिन औसतन 280 लोग तम्बाकूजनित रोगों से असमय काल के गाल में जा रहे हैं।

कैंसर जागरूकता फैलाने में जुटे ओंको सर्जन डॉ. वीपी सिंह के अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़ दिया जाए तो देश में बिहार में सर्वाधिक तम्बाकू का इस्तेमाल होता है। यहां के 53.5 प्रतिशत लोग तम्बाकू सेवन करते हैं जबकि राष्ट्रीय औसत 35 है।

चिकित्सकों की माने तो तम्बाकू सबसे खतरनाक पोटेशियम सायनाइड जहर से भी घातक है क्योंकि इससे मरने वाले अधिकांश लोग उत्पादन क्षमता वाले अर्थात 25 से 65 वर्ष के होते हैं। साथ ही साइनाइड जिसके शरीर में जाता है, उसी की जान जाती है। तम्बाकू धुएं के रूप में तो आसपास रहने वालों को भी खतरनाक रोगों को तोहफा देती है।

तम्बाकू_छोडऩे_में_उपयोगी_टिप्स :

- आसपास से तम्बाकू की सभी चीजें हटा दें।

- एक दिन तय कर उस दिन बिल्कुल तम्बाकू सेवन न करें।

- तम्बाकू छोडऩे के बाद शरीर के जहरीले व रासायनिक पदार्थों से मुक्त होने के अच्छे प्रभाव पर गौर करें।

- तलब लगे तो उसे थोड़ी देर के लिए भुला दें। धीरे-धीरे घूंट लेकर पानी पिएं, गहरी सांस लें व ध्यान हटाने के लिए दूसरा कार्य करें।

- सामान्य दिनचर्या बदलें, सुबह टहलने जाएं।

- ऐसी जगह न जाएं जहां तलब तेज हो।

- तम्बाकू की तलब घटाने को सौंप, मिश्री, लौंग या दालचीनी का प्रयोग करें।

- ऐसे दोस्तों के साथ रहें जो तम्बाकू सेवन से दूर रहने को प्रेरित करें।

- तम्बाकू सेवन न करने से होने वाली बचत को ध्यान कर अपने फैसले को मजबूत बनाएं।

- यदि तम्बाकू छोड़ देंगे तो लोग आपके नक्शे-कदम पर चलेंगे।

आइए साथ मिलकर ऐसे नौजवानों को रोकें और इन नौजवानों को उनके भविष्य के बारे में और जागरुक करें ।यकीन मानिए एक दिन हम अवश्य सफल होंगे ।
सोचिए यदि हमारी यह मुहिम सफल हुई तो दुनिया में भारत एक ऐसा देश होगा जिसमें एक भी नशा करने वाला व्यक्ति नहीं होगा ,विश्व गुरु बनने की ओर हम मजबूती से बढ़ पाएंगे और दुनिया को एक बार फिर से इस नए भारत के असली चरित्र का अंदाजा हम करवा पाएंगे।
आज से आप शपथ लीजिए कि आप यदि तंबाकू का सेवन करते हैं तो नहीं करेंगे और कम से कम 10 लोगो को तंबाकू छोड़ने की शपथ दिलाएंगे।

         साथियों, तंबाकू छोड़ने में योग एक महत्वपूर्ण साधन साबित हो रहा है क्योंकि मन पर नियंत्रण रखना किसी  अन्य साधन से संभव ही नहीं है। बिना किसी पैसों के आप घर बैठे योग के माध्यम से तंबाकू छोड़ सकते है और लोगो को तंबाकू छोड़ने में उनकी मदद कर सकते है।
यदि आपके पास योग करने का कोई साधन उपलब्ध न हो तो आप MDVTI INDIA के फेसबुक पेज पर:- https://www.facebook.com/mdvtiindia/ 
जाकर प्रतिदिन योग सुबह सीख सकते है।
साथियों,
हमारा संस्थान "स्वस्थ भारत समृद्धि भारत" के मिशन को पूरा करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है और हमारा यह संकल्प बिना तंबाकू को जड़ से समाप्त किए बिना पूरा नहीं हो सकता है।
          
हम योग से माध्यम से आसानी से तंबाकू को समाप्त करना चाहते है ।इसमें हमें आपके सहयोग की अपेक्षा है। आइए साथ मिलकर योग के माध्यम से इस भयावह बीमारी को जड़ से समाप्त करें क्योंकि भारत देश में यह कई व्यक्तियो को नहीं बल्कि कई परिवारों को तबाह कर रहा है।
पूरा ब्लॉग पढ़ने हेतु आपका सहृदय बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

Tuesday, 19 May 2020

योग की उत्पत्ति,इतिहास

योग की उत्पत्ति:इतिहास

योग एक प्राचीन कला है जिसकी उत्पत्ति भारत में लगभग 6000 साल पहले हुई थी।योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के युज धातु से हुई है, जिसके दो अर्थ हैं :– एक अर्थ है - जोड़ना और दूसरा अर्थ है – अनुशासन। 


ऐसा माना जाता है कि योग की उत्त्पति ब्रह्माण्ड में मानव जीवन की उत्पत्ति के पूर्व हुई है।योग का जन्म धर्म एवं आस्था के जन्म से पूर्व हुआ है क्योंकि सर्वप्रथम योग गुरु भगवान शिव को माना जाता है। भगवान शिव को "आदियोगी" भी कहते हैं।कई हजार वर्ष पहले, हिमालय में कांति सरोवर झील के तटों पर आदि योगी ने अपने प्रबुद्ध ज्ञान को अपने प्रसिद्ध सप्‍तऋषियों को प्रदान किया था। सप्तऋषियों ने योग को पूरे विश्व में याथारूप में फैलाया। 

महर्षि अगस्त ने विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा कर इस महाद्वीप में योग संस्कृति की उत्पत्ति की आधारशिला रखी। सिंधु घाटी सभ्यता में कई मूर्तियां और जीवाश्मों के अध्ययन से यह सिद्ध होता है कि योग सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो के जीवनशैली का महत्वपूर्ण अंग था।हिन्दू ,बौद्ध और जैन समाज की प्राचीन परंपराओं , दर्शन शास्त्रों,वेदों, उपनिषद्, रामायण, महाभारत एवं पवित्र श्रीमद् भगवत गीता में योग का उल्लेख भारत में योग के प्राचीन काल से विद्यमान होने के पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। प्राचीन काल में योग करने के काफी कठिन नियम होते थे। सामान्यतः लोग गृहस्थ जीवन त्यागकर वनो में कठिन योग क्रियाएं करते थे ।परंतु समय के साथ साथ ही योग की जटिलताओं को अनेक ऋषियों ने सामान्य करने का प्रयास किया।

महर्षि पतंजलि इस क्रम में एक अलग ही ख्याति अर्जित करने में सफल हुए क्योंकि महर्षि पतंजलि ने योग की जटिलताओं को एक सूत्र में पिरोया जिसे हम "पतंजलि योगसूत्र" के नाम से जानते है। वर्तमान काल (2020) में भी पतंजलि योगसूत्र से व्यक्ति सामान्यतः परिचित है। इस सूत्र को अष्टांग योग के नाम से भी जानते है जो कि यम,नियम,आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा,ध्यान , समाधि से मिलकर बना है।20 वीं सदी के अंतिम चरण से आज 21 वीं सदी (मई,2020) तक आसन एवं प्राणायाम मुख्य रूप से प्रचलन में हैं। 

योग की मुख्य परिभाषाएं

योग शब्द एक अति महत्त्वपूर्ण शब्द है जिसे अलग-अलग रूप में परिभाषित किया गया है।
 1.योग सूत्र के प्रणेता महर्षि पतंजलि ने योग को परिभाषित करते हुए कहा है - ‘योगष्चित्तवृत्तिनिरोध:’ यो.सू.1/2 अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध करना ही योग है। चित्त का तात्पर्य, अन्त:करण से है। 
2.महर्षि याज्ञवल्क्य ने योग को परिभाषित करते हुए कहा है- ‘संयोग योग इत्युक्तो जीवात्मपरमात्मनो।’ अर्थात जीवात्मा व परमात्मा के संयोग की अवस्था का नाम ही योग है। 

3.श्रीमद्भगवद्गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कुछ इस प्रकार से परिभाषित किया है। योगस्थ: कुरू कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय:। सिद्ध्यसिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।। 2/48 अर्थात् - हे धनंजय! तू आसक्ति त्यागकर समत्व भाव से कार्य कर। सिद्धि और असिद्धि में समता-बुद्धि से कार्य करना ही योग हैं। 
4.योग: कर्मसुकौशलम्।। 2/50 अर्थात् कर्मो में कुशलता ही योग है।
5.लिंग पुराण मे महर्षि व्यास ने कहा है कि -सर्वार्थ विषय प्राप्तिरात्मनो योग उच्यते। अर्थात् आत्मा को समस्त विषयो की प्राप्ति होना योग कहा जाता है।
योग के विषय में ऐसी ही रोचक एवं ऐतिहासिक तथ्यों को जानने हेतु निरंतर हमारा ब्लॉग पढ़ते रहें।
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|| धन्यवाद ||